
हमने भी कभी चाहा था एक ऐसे शख्स को
जो था आइने से नाज़ुक मगर था संगदिल।

हम इश्क़ के वो मुकाम पर खड़े है
जहाँ दिल किसी और को चाहे तो गुन्हा लगता है.

मरे तो लाखों होंगे तुझ पर लेकिन
मैं तो तेरे साथ जीना चाहता हूँ

अपनी कलम से दिल से दिल तक की बात करते हो
सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार करते हो।

हमने भी एक ऐसे शख्स को चाहा
जिसको भुला न सके और वो किस्मत मैं भी नहीं.

तरस गये है हम तेरे मुंह से कुछ सुनने को हम
प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे

तरस गये है हम तेरे मुंह से कुछ सुनने को हम
प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे

नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम,
मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस तुम हो

मेरे होंठो पर लफ्ज़ भी अब तेरी तलब लेकर आते हैं,
तेरे जिक्र से महकते हैं तेरे सजदे में बिखर जाते हैं

मोहब्बत भी शराब के नशा जैसी है दोस्तों,
करें तो मर जाएँ और छोड़े तो किधर जाएँ।

समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए,
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए

मेरे दिल के किसी कोने में अब कोई जगह नहीं,
कि तस्वीर-ए-यार हमने हर तरफ लगा रखी है।

तेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँ,
मेरा इश्क़ कह रहा है, मैं मुझे खुदा बना दूँ

घायल कर के मुझे उसने पूछा, करोगे क्या फिर मोहब्बत मुझसे,
लहू-लहू था दिल मेरा मगर होंठों ने कहा बेइंतहा-बेइंतहा

हम इश्क के वो मुकाम पर खड़े है
जहाँ दिल किसी और को चाहे तो गुन्हा लगता है

मेरे होंठों पर लफ्ज भी अब तेरी तलब लेकर आते है,
तेरे जिक्र से महकते है तेरे सजदे में बिखर जाते है

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये ऐ सनम,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये

मोहब्बत करनी आती है नफरतो का कोई ठोंर नहीं,
बस तू है इस दिल मेदूसरा कोई और नही

भूल जाता हूँ मैं सबकुछ आपके सिवा,यह क्या मुझे हुआ है,
क्या इसी एहसास को दुनिया ने इश्क़ का नाम दिया है
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