श्री हनुमान जी: अमर योद्धा और चिरंजीवी देवता Admin, July 17, 2023July 17, 2023 Last Updated on July 17, 2023 by Admin हिंदू धर्म में श्री हनुमान जी को अमर योद्धा और चिरंजीवी देवता के रूप में मान्यता प्राप्त है। वे अवतारी भगवान श्री राम के विशेष भक्त और सेवक हैं, जिन्हें हिंदू संस्कृति में वानर सेना का सेनापति भी कहा जाता है। हनुमान जी के जीवन काल में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं और उनकी शक्तियों ने उन्हें चिरंजीवी बना दिया। हनुमान जी का जन्म भारतीय राष्ट्रीय एकता के प्रतीक स्थानीयता के साथ संबंधित है। वे केसरी और अंजना नामक वानर कुमारी के पुत्र हैं। उनके जन्म का कारण माता अंजना की तपस्या और पवित्रता थी, जिसके फलस्वरूप वे पवित्र वानर रूप में प्रकट हुए। हनुमान जी की अनंत शक्ति और बल की कथाएं प्राचीन रामायण में विस्तारपूर्वक वर्णित हैं। उन्होंने सूर्य तक को निगलने की योग्यता प्राप्त की थी। तुलसीदास ने उन्हें रामचरितमानस के “सुन्दरकाण्ड” नामक अध्याय में वीरता के रूप में प्रशंसा की है। उन्होंने भगवान राम की सेवा करते हुए राक्षसों के विपरीत युद्ध किया और दुष्ट राक्षसों का संहार किया और भगवान राम को विजय दिलाई। जिससे धर्म की पुनः स्थापना हुई और जग में रामराज्य स्थापित हुआ। ऐसा माना जाता है की हनुमान जी चिरंजीवी है और आज भी फोर वन में भगवान राम की तपस्या में संलग्न है और भगवान विष्णु के आठवें अवतार कल्कि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भगवान हनुमान जी को रामभक्ति का प्रतीक माना जाता है।हनुमान जी द्वारा किए गए अनेक वीरतापूर्ण कार्यों में से कुछ निम्न हैं: देवों द्वारा परीक्षा में सफल: जब हनुमान जी लंका के लिए प्रस्थान किए तो रास्ते में देवों द्वारा उनके बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए नाग माता सुरसा को समुद्र मार्ग में भेजा था जिनके प्रश्नों पर हनुमानजी खरा उतरे और नाग माता सुरसा से आशीर्वाद प्राप्त किया। – सीता माता की खोज करना: हनुमान जी ने लंका जाकर अशोक वाटिका में सीता माता को खोजने का कार्य संपादित किया था। – लंका दहन: जब हनुमान जी अशोक वाटिका में वृक्षों को उखाड़ कर उनके फलों को खा कर अपने क्षुधा को शांत कर रहे थे। तब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने हनुमान जी के ऊपर ब्रह्मास्त्र से वार किया हनुमान जी चाहते तो ब्रह्मास्त्र भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाता फिर भी उन्होंने ब्रह्मास्त्र का सम्मान किया और अपने इच्छा से बंदी बन गए। सभी राक्षसों ने हनुमान जी को रावण के दरबार में ले गए। जहां पर काफी वाद विवाद हुआ फिर हनुमान जी के पूंछ को आग लगाने का हुक्म दे दिया गया। हनुमान जी ने भगवान श्री राम का नाम लिया और वहां से कूदकर रावण की सोने की लंका को जलाकर दहन कर दिया और रामायण में लंका दहन की घटना मशहूर हुई। – हनुमान चालीसा: हनुमान जी के विशेष पूजन का पाठ “हनुमान चालीसा” है, जिसे उनके भक्त रोज़ाना पाठ करते हैं और हनुमान जी की वंदना करते हैं। यह चालीसा पाठ हनुमान जी के चिरंजीवी होने की मान्यता को भी दर्शाता है। यहां कुछ दोहे हैं, जिन्हें हनुमान जी के बारे में गाया जाता है:दोहाश्रीगुरु चरन सरोज रज,निज मनु मुकुरु सुधारि ।बरनउँ रघुबर बिमल जसु,जो दायकु फल चारि ।।बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरौं पवन-कुमार ।बल बुधि बिद्या देहु मोहिं,हरहु कलेस बिकार ।। चौपाईजय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।। १ ।।राम दूत अतुलित बल धामा ।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।। २ ।।महाबीर बिक्रम बजरंगी ।कुमति निवार सुमति के संगी ।। ३ ।।कंचन बरन बिराज सुबेसा ।कानन कुंडल कुंचति केसा ।। ४ ।।हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।काँधे मूँज जनेऊ साजै ।। ५ ।।संकर सुवन केसरीनंदन ।तेज प्रताप महा जग बंदन ।। ६ ।।बिद्यावान गुनी अति चातुर ।राम काज करिबे को आतुर ।। ७ ।।प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।राम लखन सीता मन बसिया ।। ८ ।।सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।बिकट रूप धरि लंक जरावा ।। ९ ।।भीम रूप धरि असुर सँहारे ।रामचंद्र के काज सँवारे ।। १० ।।लाय सजीवन लखन जियाये ।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।। ११ ।।रघुपति कीन्ही बहुत बडाई ।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।। १२ ।।सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।। १३ ।।सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।नारद सारद सहित अहीसा ।। १४ ।।जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।। १५ ।।तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।राम मिलाय राज पद दीन्हा ।। १६ ।।तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना ।लंकेस्वर भए सब जग जाना ।। १७ ।।जुग सहस्र जोजन पर भानू ।लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।। १८ ।।प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ।। १९ ।।दुर्गम काज जगत के जेते ।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।। २० ।।राम दुआरे तुम रखवारे ।होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।। २१ ।।सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।तुम रच्छक काहू को डर ना ।। २२ ।।आपन तेज सम्हारो आपै ।तीनों लोक हाँक ते काँपै ।। २३ ।।भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।महाबीर जब नाम सुनावै ।। २४ ।।नासै रोग हरै सब पीरा ।जपत निरंतर हनुमत बीरा ।। २५ ।।संकट तें हनुमान छुडावै ।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।। २६ ।।सब पर राम तपस्वी राजा ।तिन के काज सकल तुम साजा ।। २७ ।।और मनोरथ जो कोइ लावै ।सोइ अमित जीवन फल पावै ।। २८ ।।चारों जुग परताप तुम्हारा ।है परसिद्ध जगत उजियारा ।। २९ ।।साधु संत के तुम रखवारे ।असुर निकंदन राम दुलारे ।। ३० ।।अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।अस बर दीन जानकी माता ।। ३१ ।।राम रसायन तुम्हरे पासा ।सदा रहो रघुपति के दासा ।। ३२ ।।तुम्हरे भजन राम को पावै ।जनम जनम के दुख बिसरावै ।। ३३ ।।अंत काल रघुबर पुर जाई ।जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।। ३४ ।।और देवता चित्त न धरई ।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।। ३५ ।।संकट कटै मिटै सब पीरा ।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।। ३६ ।।जै जै जै हनुमान गोसाई ।कृपा करहु गुरु देव की नाई ।। ३७ ।।जो सत बार पाठ कर कोई ।छूटहि बंदि महा सुख होई ।। ३८ ।।जो यह पढै हनुमानचालीसा ।होय सिद्धि साखी गौरीसा ।। ३९ ।।तुलसीदास सदा हरि चेरा ।कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।। ४० ।। दोहा पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।। इन दोहों में भक्तों द्वारा हनुमान जी की प्रशंसा की गई है और उनकी शक्तियों, दया और वीरता को व्यक्त किया गया है। हनुमान जी हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण चिरंजीवी देवता हैं, जो अपनी अनंत कथाओं, बल, शक्ति और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें भक्ति और सेवा करने से जीवन में सफलता, आनंद और शांति की प्राप्ति होती है। उनका ध्यान, भजन और प्रार्थना करने से भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।Share this to:Click to share on WhatsApp (Opens in new window)Click to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Like this:Like Loading... 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