ये मेरी महोब्बत और उसकी नफरत का मामला है,
ऐ मेरे नसीब तू बीच में दखल-अंदाज़ी मत कर।
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर‘।
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर‘।
तुम्हारे जाने से कुछ बदला तो नहीं है, रात भी होती है,
चाँद भी निकलता है, बस नींद नहीं आती…
वो भूल गया है मुझे दुआओं में मांग कर
अब ये खुदा मुझे किसी और का होने नहीं देता…
आज भी उसी को ढूंढती रहती है आंखें मेरी,
जिसने अपनी खुशियों के लिए किसी और को ढूंढ रखा है।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
बहुत उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी।
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,,
ये तेरी आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे,
इक शहर अब इनका भी होना चाहिए…
आज कल वो हमसे डिजिटल नफरत करते हैं,
हमें ऑनलाइन देखते ही ऑफलाइन हो जाते हैं..
भूल कर भी अपने दिल की बात किसी से मत कहना,
यहाँ कागज भी जरा सी देर में अखबार बन जाता है।
कुछ ऐसे हो गए हैं इस दौर के रिश्ते,
जो आवाज तुम ना दो तो बोलते वो भी नहीं।
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे,
खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे,
अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो,
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब था,
अपना भी नही बनाया और किसी और का भी ना होने दिया।
“तेरी मोहब्बत को कभी खेल नहीं समझा,
वरना खेल तो इतने खेले है मैंने कि कभी भी हारा नहीं”
औकात नहीं थी ज़माने में जो मेरी कीमत लगा सके,
कम्बख़्त इश्क में क्या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गये।
परखा बहुत गया है मुझे लेकिन समझा नहीं गया..!
मत आने दो किसी को करीब इतना,
कि उससे दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये|
नज़र अंदाजी का बड़ा शौक था उनको..
हमने भी तोहफे में उनको उन्हीं का शौक दे दिया।
क्या बात है, बड़े चुपचाप से बैठे हो.
कोई बात दिल पे लगी है या दिल कही लगा बैठे हो.
अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े,
हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।
वो मुझसे बिछड़ कर अब तक नहीं रोया ,
कोई तो हमदर्द है उसका ,
जिसने मेरी याद तक ना आने दी।
“ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा दुख दिल टूटने पर नही
भरोसा टूटने पर होता है, क्योंकि हम किसी पर
भरोसा कर के ही दिल लगाते है।”
इस दिल को किसी की आस रहती है,
निगाहों को किसी सूरत की प्यास रहती है,
तेरे बिना किसी चीज़ की कमी तो नही,
पर तेरे बेगैर जिन्दगी बड़ी उदास रहती है..
“दिल” मेरा भी था “दिल” उसका भी था,
फर्क सिर्फ इतना था दोस्त…
वो पत्थर था सलामत रहा, ये शीशा था टूट गया।
जो कहा करते थे कभी तुम्हे ना भूल पायेंगे,
मिले जो कल तो बोले लगता है कही देखा है।
एक उम्मीद मिली थी तुम्हारे आने से अब वो भी टूट गई
वफादारी की आदत थी हमें अब शायद वो भी छूट गई!
क्या-क्या नहीं किया मैंने तेरी एक मुस्कान के लिए फिर भी
अकेला छोड़ दिया उस अनजान के लिए।
“कितना बुरा लगता है, जब बादल हो और बारिश ना हो, जब आंखे हो और ख़्वाब ना हो, जब कोई अपना हो और कोई पास ना हो।”
“दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।”
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