
वरना ‘समय’ तय कर लेगा कि, आपका क्या करना है.


उसके द्वार पर खड़ा सुख, बहर से ही लौट जाता है !

और अगर हार गए तो समझदार

मेरा अपना साया भी धूप में आने से मिला !!

एक ही बुराई है, अज्ञानता

ह इससे तय होता है आप खुद को क्या बनाने की क्षमता रखते हैं।



रखिए की जो आने वाला है..
वह बीते कल से बेहतरीन होगा


nice